Monday, May 19, 2014

स्कूल

-हमारे स्कूल बच्चों को सिखाते हैं हैं कि संदेह , उलझन और सवाल करना गलत बात होती है .

-स्कूल हमारे बच्चों को बताते हैं कि अनभिज्ञ होना अपराध है .

- स्कूल बच्चे को सिखाते हैं कि किसी बात को रट कर ज्यों का त्यों लिख देना ही ज्ञान है . किसी बात को रट न पाने वाले के साथ हिंसा करना ही एक मात्र रास्ता है .

-स्कूल बच्चे को सिखाते हैं कि जो व्यक्ति हमारे जैसी योग्यता वाला नहीं है उसे पीटा जाना चाहिए या उसे सबके सामने ज़लील किया जाना चाहिए . क्योंकि शिक्षक उनके सामने यही करते हैं . जिस बच्चे को याद नहीं होता उसे मारा जाता है या ज़लील किया जाता है .

-स्कूलों में बच्चे के आत्मविश्वास को बुरी तरह कुचल दिया जाता है . उसे बताया जाता है कि तुम जो जानते हो वो सब गलत और बकवास है . सही वही है जो शक्तिशाली बताता है . और कक्षा में सबसे शक्तिशाली शिक्षक है .


-स्कूल सिखाते हैं कि तुम्हे शक्तिशाली को प्रसन्न रखना है . यानी अपने शिक्षक को खुश रखना है . इस तरह हम बचपन से ही लोकतंत्र की पहली धारणा को कुचल देते हैं . जबकि लोकतंत्र का पहला सूत्र है कि कि सभी बराबर होते हैं .

स्कूल में बच्चे को अपने आस पास के लोगों के साथ बात करने की मनाही होती है . बच्चे को बताया जाता है कि तुम्हारी शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य अपने आसपास के विद्यार्थियों को हराना है . इस तरह बच्चा अपने समाज को अपना शत्रु मानने लगता है .

- बच्चे को आस पास देखने के लिए भी सज़ा दी जाती है, मेरी बेटी के प्रिंसिपल ने मुझसे शिकायत करी कि आपकी बेटी स्कूल में खिड़की के बहार देखती रहती है . मैंने अपनी बेटी को उस स्कूल से निकाल लिया था . स्कूल हमारे बच्चे को सिखाते हैं कि आपको अपने आस पास से बिलकुल अपना स्विच आफ कर लेना है . अब बच्चा जीवन भर अपने आस पास से कट जाता है . अब बच्चे को दादा दादी , चिड़िया फूल , मौसम में कोई आनंद नहीं आता , अब बच्चा एक ऊबा हुआ प्राणी बन जाता है जिसे ऊब मिटाने के लिए मोबाइल , वीडियो गेम , कारें और अंत में नशा चाहिए .

-इस तरह स्कूल हमारे बच्चे को एक हिंसक ऊबा हुआ असामाजिक प्राणी बना देते हैं .

-ऐसे बच्चों से जो समाज बनता है वह हिंसक और मतलबी समाज बनता है . 

गेहूं की कटाई


कंडबाड़ी गाँव में उड़ान बाल केन्द्र में तय हुआ कि आज बच्चे खेत में गेहूं काटने जायेंगे . बच्चों में शामली और निओ का जन्म अमेरिका में हुआ लेकिन इनके मम्मी पापा वहाँ की नौकरियां छोड़कर यहाँ गाँव के लोगों के साथ काम करने के लिए भारत के गाँव में आकर रह रहे हैं .हरिप्रिया के स्कूलों की छुट्टियाँ हैं . पड़ोस के नैण गाँव की शिवानी और उसका भाई अभिषेक सबके पक्के दोस्त हैं इसलिए सबने तय किया कि इनके खेत के गेहूं काटे जाएँ .


शिवानी और अभिषेक तीसरे पहर स्कूल से लौट कर आये .उसके बाद बच्चों की टोली गेहूं के खेत काटने चल पड़े . सबने धुप से बचने के लिए काऊ बॉय हैट लगा रखे थे क्योंकि सभी को ऐसा करने की हिदायत सयानों ने दे रखी थी .

इस टोली ने मिल कर खेत काटने शुरू किये . शुरू में कुछ बच्चों ने बालियाँ काफी ऊपर से काटनी शुरू करीं लेकिन फिर शिवानी ने समझाया कि गेहूं की ये नीचे का हिस्सा ही भूसा बनता है जिसे हमारी गाय खाती है , अगर हम गेहूं ऊपर से काटेंगे तो बहुत सा भूसा हमें नहीं मिलेगा . कुछ बच्चों ने कटे हुए गेहूं को बांधने का काम किया . दो घंटे में इस टोली ने एक खेत के गेहूं काट दिए .



बातचीत में पता चला कि शिवानी और अभिषेक के पिताजी के पास बैल नहीं हैं इसलिए शिवानी के पापा और ग्यारह साल के अभिषेक ने मिल कर पूरे खेत को कुदाल से खोदा है और गेहूं बोये हैं . आज वही गेहूं काटे गए हैं .

गेहूं काटने के बाद खेत की मेड पर लगे देसी संतरे जैसे खट्टे फलों को पेड़ हिला कर गिराया गया और शिवानी के घर से नमक लाकर सबने उन खट्टे फलों को मजे से खाया . रसभरी भी खाईं . इसके बाद सभी बच्चे बादाम , अखरोट और प्लम के पेड़ों पर चढ़ कर मजे करने लगे . 



शाम होने लगी थी सभी लोग नदी पार कर वापिस उड़ान बाल केन्द्र में लौट आये .

कल गेहूं की खेती की और भी बारीकियां सीखने के लिए गाँव में जाने की योजना है .